सोमवार, 30 मई 2016

सुन जीवन !

अलग अलग है तेरी हर इक धुन जीवन
कभी  गौर से तू भी इसको सुन जीवन

कहीं उदासी, ख़ामोशी, कोहराम कहीं
कहीं बज रहा तू रुनझुन-रुनझुन जीवन

दीवारों पर लिखी इबारत भी पढ़ ले
मत बुन अब, झूठे सपने, मत बुन जीवन

किसने तुझको पीर दिया क्या ज़ख़्म दिये
ऐसी बातों को मन में मत गुन जीवन

किसे पुकारे इस बेगानी बस्ती में
पत्थर के  हैं तेरे साजन सुन जीवन

या आनंद खोज ले या दुनिया ले ले
पारस छोड़ कोयले को मत चुन जीवन 

- आनंद