शुक्रवार, 27 जून 2014

पीर हमारी...

पीर हमारी भीगी माचिस तीली सी
जलती देह हमारी लकड़ी गीली सी

रूह भटक कर पैठी है जिस पिंज़र में
उसकी सब  दीवारें सीली-सीली सी

मेहमानों के आने तक ही हैं, जो हैं
फ्रिज़ में थोड़ी ख़ुशियाँ पीली-पीली सी

दूर हुए उनसे भी तो जी भर रोये
वो राहें जो साथ रहीं पथरीली सी

बेवा जिज्जी सी मयके में रहती हैं
यादें कुछ कुछ हँसमुख कुछ दर्दीली सी

मत 'आनंद' गँवा रे मन सब धोखे हैं 
दुनिया हो ज़हरीली या सपनीली सी

- आनंद 

मंगलवार, 24 जून 2014

अच्छे लगते हैं ...

राह दिखाने वाले अच्छे लगते हैं
मुझे ज़माने वाले अच्छे लगते हैं

पहले खुशियाँ देने वाले भाते थे
इधर रुलाने वाले अच्छे लगते हैं

कौन रुकेगा मरघट जैसी बस्ती में
आने जाने वाले अच्छे  लगते हैं

तारीफों का हासिल जब से देखा है
मुँह बिचकाने वाले अच्छे लगते हैं

चाहे जितनी मक्कारी की जै जै हो
हक़ की खाने वाले अच्छे लगते है

प्रेम मिटाने वालों की इस दुनिया में
प्रेम निभाने वाले अच्छे लगते हैं

सूली ऊपर सेज बिछायी जालिम ने
चढ़-चढ़ जाने वाले अच्छे लगते हैं

जाने ऐसा क्यों है मुझको बचपन से
धोखे खाने वाले अच्छे लगते हैं

उद्धव ये आनंद निराला है, इसमें
आग लगाने वाले अच्छे लगते हैं

- आनंद 

शनिवार, 21 जून 2014

इतना तो जाना है हमने ...

इतना तो जाना है हमने सबकी कथा-कहानी से
सबके जीवन में आते हैं कुछ पल राजा-रानी से

जुदा नहीं कर पाती जिनको दुनिया भर की दुश्वारी
अहम जुदा कर देता उनको चुटकी में आसानी से

धरती-अम्बर जैसी दूरी हो पर प्रेम न कम होता
कम होता है प्रेम हमेशा बंधन से मनमानी से

उम्मीदों से सींचा पौधा नाउम्मीदी सह न सका
ऐसे रिश्ते बन जाते हैं अक्सर पावक-पानी से

या तो अपने में ही डूबो या फिर उसके हो जाओ
थोड़ा थोड़ा सबमें रहना, होता है बेइमानी  से

मीठा-मीठा गप्प यहाँ है कड़वा-कड़वा थू थू है
परमारथ कह स्वारथ बेचें, सोच-कर्म से वानी से

रहने दो 'आनंद' अकेला, चलने दो तनहा इसको
इसकी आँखें गीली हैं तो,  खुद इसकी नादानी से

- आनंद



रविवार, 15 जून 2014

रिश्ता

उससे अपने अंदर जैसा रिश्ता है
कोई बूँद-समंदर जैसा रिश्ता है

खिल उठता है जीवन हर दुश्वारी में
शायद वर्षा-बंजर जैसा रिश्ता है

वो ज़ख़्मों का बायस भी है, मरहम भी
कैसा मस्त कलंदर जैसा रिश्ता है

हम भी दुनिया के पापों में शामिल हैं
गाँधी जी के बंदर  जैसा रिश्ता है

सपनों का 'आनंद', जगत की सच्चाई
एकदम छाती-खंज़र  जैसा रिश्ता है

- आनंद