बुधवार, 17 अप्रैल 2013

दुश्मन भले न हों, ये किसी काम के नहीं

रोटी की कद्र है मुझे दिलदार की तरह
पैसा भी जरूरी है किसी यार की तरह

हर बात आईने की तरह साफ़ हो गयी
बैठा हूँ घर में जब कभी बेकार की तरह

कितनी बुराइयाँ हों मगर काम आऊँगा
अब भी हूँ अपने गाँव के बाज़ार की तरह

जब भूख औ फ़साद साथ हों तो जानिये 
सरकार काम कर रही सरकार की तरह

दुश्मन भले न हों, ये किसी काम के नहीं
जो लोग चुप हैं वो हैं  गुनहगार की तरह

'आनंद' कई लोग राज़ जानते हैं ये
कैसे रहें वो हर जगह मुख्तार की तरह

_ आनंद 

हम रामराज लायेंगे गुजरात की तरह

हम रामराज लायेंगे गुजरात की तरह
इस देश को बनायेंगे गुजरात की तरह

बस एक बार होंगे जो होने हैं फ़सादात
झगड़े की जड़ मिटायेंगे गुजरात की तरह

अपराध नहीं पनपेगा, मुज़रिम न बचेगा
सबको सज़ा दिलायेंगे गुजरात की तरह

क्या कीजियेगा रंग-रंग के गुलों का आप
कुछ रंग हम हटायेंगे गुजरात की तरह

आतंकियों, जहाँ भी तुम्हारा मिला वजूद
वो बस्तियाँ मिटायेंगे गुजरात की तरह

पहले तमाम काम एजेंडे के करेंगे
पीछे विकास लायेंगे गुजरात की तरह

इस बार जो  खायेंगे शपथ संविधान की
फिर घर नहीं जलायेंगे गुजरात की तरह

'आनंद' तू तो अपना है बेकार में न डर
हम गैर को सतायेंगे गुजरात की तरह

- आनंद