शनिवार, 29 दिसंबर 2012

हमें आशीर्वाद दे .... !

देख तो ...
क्या कर गयी तू  !
फूंक दिया प्राण
सोई हुई चेतना में सारे देश की
प्राण देने से पहले,
बात अब केवल तेरे गुनहगारों की कहाँ रही
तेरे रक्त की एक-एक बूँद ने
अनगिनत सुप्त हृदयों में भी
क्रांति को जन्म दे दिया है
देश को अब तक तुम्हारा नाम नहीं पता
पर आज फूट फूट कर रोया है
वह तेरे लिए !

मेरी बेटी
जरा देख तो
तेरी रक्षा न कर पाने का कलंक
धोना चाहता है यह देश
हमें आशीर्वाद दे
कि हम सब कामयाब हों !

- आनंद