बुधवार, 18 जुलाई 2012

समय ...



समय, 
सुना था हर दूरियाँ पाट देता है 
बहुत बलवान होता है 
पाया ठीक उल्टा,
सुना था हर ज़ख्म भर देता है ...
मैं जब भी ऐसा सोंचता हूँ मुस्करा पड़ता हूँ 
मैं खुश हूँ 
कि ऐसा नहीं कर पाया वो 
और इसीलिये 
मैंने इंतज़ार को 
वक्त से नापना बंद कर दिया है 

कैलेण्डर नहीं खरीदता अब मैं 
डायरी भी नहीं 
घड़ी बांधना पहले ही छोड़ चुका हूँ 
मुझे बड़े आराम से दिन निकलने का पता चल जाता है 
दिन ढलने का भी 
मेरे लिए अब इससे ज्यादा 
समय का कोई और महत्त्व नहीं ! 

- आनंद द्विवेदी 
१८-०७-२०१२