मंगलवार, 30 नवंबर 2010

एक दिन

एक दिन...
चुपके से मेरे कान में
किसी ने यूँ ही कहा था
'तुम बहुत अच्छे हो' !!

वो मुलायम नरम सरगोशी
आज भी मुझको
बखूबी याद है
मैंने पाई है सजाये मौत जिससे
यही सरगोशी
तो वो जल्लाद है,

एक दिन
भटके मुशाफिर सी ख़ुशी
यकायक आई मेरी दालान में
उसी ने
यूँ ही  कहा था
तुम बहुत अच्छे हो !!

_आनंद द्विवेदी
३०-११-२०१०